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Sunday, January 11, 2009

अमेरिका के फैली भयावह बेरोजगारी

सब प्राइम संकट ने अमेरिका कि चूलें हिला कर रख दी है। 

कल वह अमेरिका जो विश्व मे सुपर पावर कि हैसियत रखता ता आज ख़ुद आर्थिक संकट के पहाड़ के नीचे दबा हुआ है। इस संकट से उबरने मे अमेरिका को कितना वक्त लगेगा इसका अमेरिका को भी पता नही है। 

आज स्तिथि यह है कि बेरोजगारी ७.२ % पहुँच गयी है। २००८ के दिसम्बर माह मे ५ लाख २४ हजार लोग बेरिजगार हुए है। पिछले चार महीने मे ही २० लाख से ज़्यादा लोग बेरोजगारी के काल मे समा गए। अमेरिका के संकट ने न सिर्फ़ अमेरिका को डुबोया है बल्कि सारी दुनिया को उसकी चपेट में ले गया। 

आज दुनिया भर के देशों मे आर्थिक मंदी ने हालत बिगाड़ कर रख दी है । भारत के राष्ट्रीय दैनिक ने आज अपने एक लेख मे लिखा है कि साउथ कोरिया मे तो स्तिथि इतनी ख़राब है कि वहां के वैज्ञानिकों ने सफाई कर्मचारी कि नौकरी के लिए आवेदन किया है। 

खैर पूरे विश्व मे आर्थिक मंदी के बादल तो अभी छाए है जिसको छटने मे अभी वक्त लगेगा पर इतना तो साफ़ हो गया है कि भारत कि आर्थिक स्तिथि अन्य देशों के मुकाबले मे सुद्रण बनी हुई है। भारत के आर्थिक और बैंकिंग नीती ने देश को आर्थिक रूप से टूटने मे काफ़ी हद तक बचा कर रखा है। 

भारत ने पूरी दुनिया को दिखा दिया है कि अर्थव्यवस्था पर बहुत आश्रित नही है। ऐसी स्तिथि के कारण भविष्य मे भारत को विदेशी निवेशकों से भारत मे निवेश कि प्रबल संभावना है। मुझे तो विशवास है कि १०-१५ वर्षों मे भारत पूरे विश्व मे आर्थिक रूप से एक महाशक्ति के रूप मे उभर कर आएगा और विश्व मे एक महाशक्ति के रूप मे उभरेगा। देखिये वक्त के साथ साथ भारत और क्या नए नए आयाम स्तापित करता है।

Tuesday, December 16, 2008

छटनी कर्मिओं को कुछ तो रहत मिली

केन्द्र सरकार ने कल मंदी के दौर मे छटनी के शिकार कर्मचारिओं को राहत के तौर पर जो एलान किया वो कुछ हद तकअच्छी ख़बर है । 

कल केन्द्र सरकार ने एलान किया है कि जो कर्मचारी कम से कम पाँच साल तक काम किया हो उन कर्मचारिओं को राजीव गाँधी श्रम कल्याण योजना के तहत छः महीने तक आधे औसत वेतन के बराबर बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा । 

श्रम मंत्री ओस्कर फर्नांडिस के अनुसार इसके तहत वे कर्मचारी भी बेरोजगारी भत्ता पाने के हकदार होंगे जो ई एस आई योजना मे कम से कम पाँच साल से सदस हों। 

 मंदी के इस भीषण दौर मे यह ख़बर कुछ तो राहत देती है लेकिन सरकार को अभी यह भी देखना है कि रोजगार सृजन की दिशा मे क्या महत्वपूर्ण कदम उठाये जा सकतें है। जिससे बेरोजगारी की समस्या और भयावह ना हो जाए। यह मंदी का दौर देखे अभी क्या क्या दिखाती है?