Saturday, March 14, 2009

एक अजन्मी बेटी कि चिट्ठी माता पिता और समाज के नाम

चार माह कि बच्ची थी। इस इंतज़ार मे कि इस दुनिया मे आएगी, खूब पढेगी लिखेगी और अपने माता पिता का नाम रोशन करेगी। अनेकों रिश्तों को अपने भीतर समेटे हुए एक नई दुनिया मे आने के उल्लास से भरी हुई थी। पहले बेटी का फ़र्ज़ निभाएगी और फ़िर एक पत्नी का और फ़िर एक माँ का। रक्षाबंधन पर अपने प्यारे भाई कि कलाई पर राखी बांधेगी... पर उसे क्या पता था कि बाहर क्या हो रहा है। उसके माँ बाप और परिवार वालों को तो सिर्फ़ बेटे का इंतज़ार था। मशीनों के ज़रिये चुपके से उसकी जांच पड़ताल कराई जा रही थी और यह जानकर कि वह एक कन्या है उसे मारने कि तैयारी चल रही थी। पर न जाने कैसे उसे भनक लग गई और आँख मे आंसू लिए फ़िर उसने मरते मरते लिखी एक चिट्ठी......
प्यारे मम्मी पापा और प्यारे समाज
क्यूँ मार दिया मुझे आपने इस दुनिया मे आने से पहले क्यूँ मार दिया मुझे आपने यह जानकर कि मै एक लड़की हूँ? क्या यह सोचकर कि बनूँगी आपके जीवन पर एक बोझ जिसे ढोना पड़ेगा मेरी शादी तक मुझे खिलाओगे पिलाओगे पढाओगे लिखाओगे और एक दिन करना पड़ेगा विदा भेजना पड़ेगा परदेस बांधना पड़ेगा मुझे किसी खूटे से एक निरीह गाय की तरह क्या इस डर से मार दिया मुझे आपने इस दुनिया मे आने से पहले? कि जुटाना पड़ेगा दहेज़ विवाह मे जाने होगा कितना दहेज़ जुड़ पाया दहेज़ तो गिरवी रखनी होगी जमा पूँजी, मकान और जीवन, क्या इस वजह से मार दिया मुझे अरे अगर लगता है बेटी एक बोझ तो देखो एक बार अपनी माँ की तरफ़ वो भी थी किसी कि बेटी और अगर वोह भी मार दी गई होती पैदा होने से पहले तो नही होता आपका कोई अस्तित्व किसी कि बेटी के कारण ही है आज है आप लोगों का जीवन और आज हो गई है नफरत आपको अपनी ही बेटी से क्या इसी लिए मार दिया आपने मुझे इस दुनिया मे आने से पहले? मेरे मम्मी पापा और मेरे प्यारे समाज अगर आप सब ऐसे ही मारते रहे ढूंढ ढूंढ कर बेटिओं को इस दुनिया मे आने से पहले तो कैसे आयेंगे भविष्य मे बेटे? क्यूंकि बेटा भी तो जानती है माँ और बेटी ही तो बनती है एक माँ काश आप मुझे मरने से बचा लेते मुझे आने देते इस संसार मे मै नही बनती आप पर कोई बोझ मै पढ़ लिख कर अपने पैरों पर खड़ी हो सकती थी, और ठुकरा सकती थी दहेज़ लोभी वर को मै अपनी आत्म शक्ति और आत्मनिर्भरता से लड़ लेती इस संसार से मै भी उड़ना चाहती थी स्वछंद आकाश मे पर आपने छीन ली मुझसे मेरी इच्छाएं और आकांक्षाएं और मर जाने दिया मुझे अपने स्वार्थ मे आपके इस अपराध के लिए मै आपको कभी माफ़ नही कर सकती कभी नही , कभी नही , कभी नही ----आपकी अजन्मी बेटी

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