Thursday, April 16, 2009

आपके अपने छोटे भाई तो नेता है

जी हां अब जब चुनाव सर पर है तो जिनके दर्शन ही मुश्किल से होते थे आज हर एक को अपना भाई बनाये फ़िर रहे है। गली गली घूम कर सभाएं कर भाईचारा बढाया जा रहा है। चुनाव समाप्त हुए नही की उनके दर्शन दुर्लभ हों जायेंगे। और यदि किसी कार्यवश आपको उनसे मिलना हों तो ....बहुत मुश्किल! आज हर चौराहे पर जन सभाएं हों रही है। पार्टी के नेता और कत्याकर्ता अपनी अपनी पार्टी के गुणगान करने और दूसरी पार्टियों की बुराईयाँ गिनाये जा रहे है। जिस भी तरह हों बस चुनाव तो जीतना है। भले ही चाहे जितने दुष्कर्म किए हों पर आज कितने भोले बन कर हाथ जोड़े मुस्कुराते हुए वोट की भीख मांगते सड़क पर घूम रहे है। सचाई तो ये है की कोई भी पाक दामन नही है। हर एक नेता किसी न किसी रूप मे अपराध से जुडा है। या तो वे ख़ुद ही किसी अपराध मे लिप्त रहे है या उनके छत्रछाया मे अपराधी पल रहे हों।

आज ज़रूरत है हर भारत के सच्चे नागरिक को इन मुखौटा पहने हुए मुस्कुराते हुए नेताओं की असलियत को पहचानने की। आज तो कोई सच्चा नेता चुनाव मे खड़ा ही नही हों पता है. जों सच्चा ईमानदार व्यक्ति अगर नेता बनता भी है तो वो नेता बनते ही सच्चाई और ईमानदारी भूल जाता है. आज हमें चुनना है उनमे से किसी एक को जिसके दामन कम गन्दा हों। जों की एक कठिन कार्य है। पर अगर ऐसा नही किया तो फ़िर वो जीतेगा जिसके हाथ मे हम अपना देश प्रदेश तो क्या अपने घर की कोई ज़िम्मेदारी देना पसंद नही करेंगे।

मित्रों वोट दीजिये तो बहुत सोच समझ कर। मीठी मीठी बातों और किसी लालच मे न फस कर एक साफ़ सुथरी सरकार यदि चाहते है जों प्रदेश और देश की तरक्की करे तो ये कर्तव्य हमें ज़रूर निभाना है। वोट ज़रूर दे और किसी अच्छे को ही चुने वरना ये हमारा ही धन हमसे छीन कर मौज उडाएंगे और आप सिर्फ़ पछतायेंगे और पाँच साल तक हाथ मलते रह जायेंगे...

Friday, March 27, 2009

गूगल एडसेंस विडियो यूनिट अप्रैल से बंद हो रहे है

गूगल एडसेंस अप्रैल से एडसेंस विडियो यूनिट को बंद कर रहा है। एडसेंस के सेटअप पृष्ठ पर इसकी सूचना गूगल द्वारा दी जा रही है। 

यदि आपने अपने ब्लॉग या वेबसाइट पर गूगल एडसेंस के विडियो यूनिट लगायें है तो वे अप्रैल से दिखना बंद हो जायेंगे। 

 गूगल ने विडियो यूनिट्स की शुरुआत अक्टूबर २००७ से शुरू की थी लेकिन ये एडसेंस प्रयोक्तायों लिए ज़्यादा फायेदेमंद साबित नही हो रहा था। इसी वजह से संभवतः गूगल ने इसे बंद करने कि सोची है। 

आप अपने ब्लॉग या वेबसाइट से इसे हटा ले ताकि वह स्थान रिक्त न हो जाए। देखते है भविष्य मे गूगल एडसेंस मे क्या कम करता है और क्या नया जोड़ता है.

Saturday, March 14, 2009

एक अजन्मी बेटी कि चिट्ठी माता पिता और समाज के नाम

चार माह कि बच्ची थी। इस इंतज़ार मे कि इस दुनिया मे आएगी, खूब पढेगी लिखेगी और अपने माता पिता का नाम रोशन करेगी। अनेकों रिश्तों को अपने भीतर समेटे हुए एक नई दुनिया मे आने के उल्लास से भरी हुई थी। पहले बेटी का फ़र्ज़ निभाएगी और फ़िर एक पत्नी का और फ़िर एक माँ का। रक्षाबंधन पर अपने प्यारे भाई कि कलाई पर राखी बांधेगी... पर उसे क्या पता था कि बाहर क्या हो रहा है। उसके माँ बाप और परिवार वालों को तो सिर्फ़ बेटे का इंतज़ार था। मशीनों के ज़रिये चुपके से उसकी जांच पड़ताल कराई जा रही थी और यह जानकर कि वह एक कन्या है उसे मारने कि तैयारी चल रही थी। पर न जाने कैसे उसे भनक लग गई और आँख मे आंसू लिए फ़िर उसने मरते मरते लिखी एक चिट्ठी......
प्यारे मम्मी पापा और प्यारे समाज
क्यूँ मार दिया मुझे आपने इस दुनिया मे आने से पहले क्यूँ मार दिया मुझे आपने यह जानकर कि मै एक लड़की हूँ? क्या यह सोचकर कि बनूँगी आपके जीवन पर एक बोझ जिसे ढोना पड़ेगा मेरी शादी तक मुझे खिलाओगे पिलाओगे पढाओगे लिखाओगे और एक दिन करना पड़ेगा विदा भेजना पड़ेगा परदेस बांधना पड़ेगा मुझे किसी खूटे से एक निरीह गाय की तरह क्या इस डर से मार दिया मुझे आपने इस दुनिया मे आने से पहले? कि जुटाना पड़ेगा दहेज़ विवाह मे जाने होगा कितना दहेज़ जुड़ पाया दहेज़ तो गिरवी रखनी होगी जमा पूँजी, मकान और जीवन, क्या इस वजह से मार दिया मुझे अरे अगर लगता है बेटी एक बोझ तो देखो एक बार अपनी माँ की तरफ़ वो भी थी किसी कि बेटी और अगर वोह भी मार दी गई होती पैदा होने से पहले तो नही होता आपका कोई अस्तित्व किसी कि बेटी के कारण ही है आज है आप लोगों का जीवन और आज हो गई है नफरत आपको अपनी ही बेटी से क्या इसी लिए मार दिया आपने मुझे इस दुनिया मे आने से पहले? मेरे मम्मी पापा और मेरे प्यारे समाज अगर आप सब ऐसे ही मारते रहे ढूंढ ढूंढ कर बेटिओं को इस दुनिया मे आने से पहले तो कैसे आयेंगे भविष्य मे बेटे? क्यूंकि बेटा भी तो जानती है माँ और बेटी ही तो बनती है एक माँ काश आप मुझे मरने से बचा लेते मुझे आने देते इस संसार मे मै नही बनती आप पर कोई बोझ मै पढ़ लिख कर अपने पैरों पर खड़ी हो सकती थी, और ठुकरा सकती थी दहेज़ लोभी वर को मै अपनी आत्म शक्ति और आत्मनिर्भरता से लड़ लेती इस संसार से मै भी उड़ना चाहती थी स्वछंद आकाश मे पर आपने छीन ली मुझसे मेरी इच्छाएं और आकांक्षाएं और मर जाने दिया मुझे अपने स्वार्थ मे आपके इस अपराध के लिए मै आपको कभी माफ़ नही कर सकती कभी नही , कभी नही , कभी नही ----आपकी अजन्मी बेटी

Sunday, January 11, 2009

अमेरिका के फैली भयावह बेरोजगारी

सब प्राइम संकट ने अमेरिका कि चूलें हिला कर रख दी है। 

कल वह अमेरिका जो विश्व मे सुपर पावर कि हैसियत रखता ता आज ख़ुद आर्थिक संकट के पहाड़ के नीचे दबा हुआ है। इस संकट से उबरने मे अमेरिका को कितना वक्त लगेगा इसका अमेरिका को भी पता नही है। 

आज स्तिथि यह है कि बेरोजगारी ७.२ % पहुँच गयी है। २००८ के दिसम्बर माह मे ५ लाख २४ हजार लोग बेरिजगार हुए है। पिछले चार महीने मे ही २० लाख से ज़्यादा लोग बेरोजगारी के काल मे समा गए। अमेरिका के संकट ने न सिर्फ़ अमेरिका को डुबोया है बल्कि सारी दुनिया को उसकी चपेट में ले गया। 

आज दुनिया भर के देशों मे आर्थिक मंदी ने हालत बिगाड़ कर रख दी है । भारत के राष्ट्रीय दैनिक ने आज अपने एक लेख मे लिखा है कि साउथ कोरिया मे तो स्तिथि इतनी ख़राब है कि वहां के वैज्ञानिकों ने सफाई कर्मचारी कि नौकरी के लिए आवेदन किया है। 

खैर पूरे विश्व मे आर्थिक मंदी के बादल तो अभी छाए है जिसको छटने मे अभी वक्त लगेगा पर इतना तो साफ़ हो गया है कि भारत कि आर्थिक स्तिथि अन्य देशों के मुकाबले मे सुद्रण बनी हुई है। भारत के आर्थिक और बैंकिंग नीती ने देश को आर्थिक रूप से टूटने मे काफ़ी हद तक बचा कर रखा है। 

भारत ने पूरी दुनिया को दिखा दिया है कि अर्थव्यवस्था पर बहुत आश्रित नही है। ऐसी स्तिथि के कारण भविष्य मे भारत को विदेशी निवेशकों से भारत मे निवेश कि प्रबल संभावना है। मुझे तो विशवास है कि १०-१५ वर्षों मे भारत पूरे विश्व मे आर्थिक रूप से एक महाशक्ति के रूप मे उभर कर आएगा और विश्व मे एक महाशक्ति के रूप मे उभरेगा। देखिये वक्त के साथ साथ भारत और क्या नए नए आयाम स्तापित करता है।

Friday, December 19, 2008

पढ़े विकिपीडिया अब अपने मोबाइल पर

विकिपीडिया के पाठकों के लिए खुशखबरी! अब आप सूचना या जानकारी जो विकिपीडिया के वेबसाइट से चाहते है उसे अब अपने मोबाइल से भी ढूंढ औए पढ़ सकतें है। विकिपीडिया ने अपने मोबाइल संस्करण को शुरू कर दिया है। विकिपीडिया को मोबाइल पर पढने के लिए आप अपने जी पी आर एस युक्त मोबाइल से mobile.wikipedia.org पर जा कर पढ़ सकते है व अपनी पसंद की जानकारी ढूंढ सकतें है। वेकिपेडिया ने इस मोबाइल वेबसाइट में ग्राफिक्स का बिल्कुल उपयोग नही किया है जिससे की वेब पेज तेजी से खुल सकतें है और आपको ज्यादा बाइट्स डाउनलोड नही करनी पड़ेगी। इस वेबसाइट को साधारण वैप युक्त मोबाइल से भी देखा जा सकता है।

अपने इन्टरनेट एक्स्प्लोरर को सुरक्षित करें

यदि आपने अपने इन्टरनेट एक्स्प्लोरर का सिक्यूरिटी अपडेट बंद कर रखा है तो उसे चालु कर के उसे अपडेट कर ले। 

क्यूंकि इन्टरनेट एक्स्प्लोरर के करीब दो मिलियन उपभोक्ताओं को इन्टरनेट एक्स्प्लोरर कि कमी कि वजह से वायरस के आक्रमण का शिकार होना पड़ा है। यही नही इसकी वजह से करीब दस हज़ार वेब साईट भी संक्रमित हुए है। 

बी बी सी कि एक वेबसाइट के हवाले से यह बताया गया है कि इन्टरनेट एक्स्प्लोरर मे कमी कि वजह से अपराधियों ने उपभोक्ताओं को संक्रमित वेब साइटों कि तरफ़ मोड़ दिया गया था और उससे उनके कम्प्यूटर भी संक्रमित हो गए। 

इसी सम्बन्ध मे माइक्रोसॉफ्ट ने हाल ही मे इन्टरनेट एक्स्प्लोरर का एक पैच निकाला है जिसकी मदद से उपभोक्ता अपने कम्प्यूटर को सुरक्षित कर सकतें है। माइक्रोसॉफ्ट के क्रिस्टोफर बड ने सभी इन्टरनेट एक्स्प्लोरर के उपभोक्ताओं को सलाह दी है कि वे अपने IE को जल्द से जल्द अपडेट कर लें। 

इन्टरनेट एक्स्प्लोरर ७ के उपभोक्ता ही इस कमी से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए है। अतः सभी उपभोक्ताओं के हित मे है कि आजकल के अपराधिक गतिविधियों से बचने के लिए व वायरस के आक्रमण, व् फिशिंग से बचने के लिए ये पैच डाउनलोड या अपडेट कर ले। मेरी सलाह से इन्टरनेट एक्स्प्लोरर से ज़्यादा सुरक्षित मोजिल्ला फिरेफोक्स है। बाकी आपकी जैसी मर्ज़ी...

Tuesday, December 16, 2008

छटनी कर्मिओं को कुछ तो रहत मिली

केन्द्र सरकार ने कल मंदी के दौर मे छटनी के शिकार कर्मचारिओं को राहत के तौर पर जो एलान किया वो कुछ हद तकअच्छी ख़बर है । 

कल केन्द्र सरकार ने एलान किया है कि जो कर्मचारी कम से कम पाँच साल तक काम किया हो उन कर्मचारिओं को राजीव गाँधी श्रम कल्याण योजना के तहत छः महीने तक आधे औसत वेतन के बराबर बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा । 

श्रम मंत्री ओस्कर फर्नांडिस के अनुसार इसके तहत वे कर्मचारी भी बेरोजगारी भत्ता पाने के हकदार होंगे जो ई एस आई योजना मे कम से कम पाँच साल से सदस हों। 

 मंदी के इस भीषण दौर मे यह ख़बर कुछ तो राहत देती है लेकिन सरकार को अभी यह भी देखना है कि रोजगार सृजन की दिशा मे क्या महत्वपूर्ण कदम उठाये जा सकतें है। जिससे बेरोजगारी की समस्या और भयावह ना हो जाए। यह मंदी का दौर देखे अभी क्या क्या दिखाती है?